Monday, January 11, 2010

कहना ही क्या जब.....

कल बहुत दिनों बाद दूरदर्शन देख रहे थे , अरसे बाद "मिले सुर मेरा तुम्हारा" सुनने को मिल रहा था ,हम भी तल्लीनता से सुनने लगे , चन्द पलों में ही न जाने कितने पीछे चले गए थे..तभी रिमोट पर उंगलिया मचली और इंग्लिश न्यूज़ चैनल पर आ गए , सामने शशी थरूर थे , जो सिर्फ कहे जा रहे थे ,शायद सुनने के मूड में नहीं थे ...एक बात और भी थी कि सामने बैठे पत्रकार ने जैसे सारा दिमाग कही और रख दिया था एक भी काउंटर सवाल उसने नहीं किया । यही समझने कि कोशिस करते रहे कि शशी थरूर एक व्यक्ति के तौर पर बात कर रहे है या फिर एक समाननीय मंत्री के तौर पर? अपने किसी भी वक्तव्य पर न तो अफ़सोस किया और बार बार मीडिया को ही कोसते रहे । तब क्या कहा जाय जब सामने बैठे पत्रकार को साप सूघ गया हो ।