Tuesday, January 12, 2010

इन पर भी लगाम लगाया जाय...

बस से जब बाहर का नजारा देखते है तो लगता है कि लोग क्यों पागल हो गए है..सड़क पर कदम रखने तक के लिए जगह नहीं है ..लेकिन बड़ी बड़ी कारो को इस तरह जबरन घुसाते है जैसे उनके बाप की सड़क हो...ख्वाब देखा जाए पर किसी डिब्बे का नहीं ....लोग भले ही इन बड़ी बड़ी गाडियो को सम्पन्नता का प्रतिक माने पर जब सड़क पर निकलना होता है तो सब एक जैसे ही नजर आते है...साइकिल वाला, स्कूटर वाला, बस वाला और लम्बी गाडियो के मालिक ...सभी को इंतज़ार करना पड़ता है..पैसा दिखाना है तो कही और दिखाया जाय ...सड़क को जहनूम न बनाया जाय.....बड़ी सी गाडी और एक बुड्ढा आदमी पेपर पढ़ रहा है ...हद है यार..एक इन्सान ने इतनी जगह घेर ली...कहा तक ये जायज है...कुछ और विकल्प होना चाहिए ..सुबिधा के नाम पर सड़क को बेहाल नहीं करना चाहिए ..कुछ भी किया जाये पर इन बढती डब्बो के ढेर पर लगाम जरूर लगनी चाहिए.